Sawan Somvar Vrat Katha
The fifth month of the Hindu calendar Shrawan/Sawan is considered the holiest month of the year. The Sawan Somvar is considered auspicious to seek the blessing of Lord Shiva by fasting on Monday of this month (Shrawan Somwar). Shiva temples are packed with devotees especially on Shrawan Somwar when they fast till sunset.
The Sawan month starts in the Northern States fifteen days before the Southern States as the Purnimant calendar is followed in the north Indian states of Uttar Pradesh, Rajasthan, Madhya Pradesh, Punjab, Bihar, and Himachal Pradesh. While Amavasyant Lunar Calendar is followed in the states of Gujarat, Goa, Maharashtra, Andra Pradesh, Karnataka, and Tamil Nadu. Each day of this month is considered the best time to conduct all important religious ceremonies.
In Northern states Sawan month starts on July 14th and the first Somwar Vrat is on 18th July. In Southern states, the month of Sawan starts from July 29th and the first Sawan Somwar Vrat is on August 1st.
Devotees on Shravan Somwar get up early in the morning and go to Lord Shiva temples and offer a wide array of things like Bel, Bilwa, Patra, Fresh flowers, Fruits, Roli, Rice, Bhang, Prasad, and Nuts. Shivling is showered with gangajal, milk, and panchamrit. They keep Vrat and read Sawan Somwar Vrat Katha on this day.
Sawan Somwar Vrat Katha in English
The story behind Sawan Somwar is about a rich businessman in Amarpur village. Being a successful businessman he was respected by everyone in the village, but even with all his money and fame, he wasn’t happy. The thought of not having anyone to carry his business further post his demise scared him since he didn’t have a son.
So in order to fulfill his wish, he started fasting every Monday to please Lord Shiva. Seeing his devotion Goddess Parvati requested Lord Shiva to grant his wish. Having no choice Lord Shiva went that night to the businessman’s house and granted his wish on one condition that the son wouldn’t live for more than sixteen years. So even when his house was filled with joy on his son’s birth, the businessman still couldn’t be happy because he knew the secret of child’s short life.
The boy was named Amar and on reaching age twelve Amar left with his uncle for Varanasi to study. At age sixteen Amar performed a big yajna and gave offerings to Brahmins, that same night when he slept as per Lord Shiva’s wish he stopped breathing upon which his uncle and everyone else started crying.
Hearing their cries Goddess Parvati asked Lord Shiva who recognized the boy at first glance as the one who is supposed to live for only sixteen years but persistent Parvati convinced her husband, Lord Shiva, to grant the boy life. So Lord Shiva had to grant the boy life after which he woke up and on completing his studies left Varsani for his home.
On hearing the news of his son’s arrival the businessman and his wife who had locked themselves in a room thinking that if something happens to their son, they will kill themselves finally came to the gates along with their friends to welcome their son.
The very same night Lord Shiva appeared in the businessman dream once again and said “Dear friend I’m very pleased with your Monday fasts of Shravan month and prayers so I’ve given your son the gift of a long life” hearing which the businessman became very happy. So fasting on Mondays brought back the joy in the lives of the businessman’s family. It is mentioned in the religious scriptures that if any man or woman does fast on Mondays all their wishes will come true.
Sawan Somwar Vrat Katha in Hindi
प्राचीन काल में एक धनी व्यक्ति था, जिसके पास सभी प्रकार की धन-दौलत एवं शौहरत थी, लेकिन दुर्भाग्य यह था कि उस व्यक्ति की कोई संतान न थी।
इस बात का दुःख उसे हमेशा सताता था, लेकिन वह और उसकी पत्नी दोनों शिव भक्त थे। दोनों ही भगवान शिव की आराधना में सोमवार को व्रत रखने लगे। उनकी सच्ची भक्ति को देखकर माँ पार्वती ने शिव भगवान से उन दोनों दंपति की सूनी गोद को भरने का आग्रह किया। परिणाम स्वरूप शिव के आशीर्वाद से उनके घर में पुत्र ने जन्म लिया, लेकिन बालक के जन्म के साथ ही एक आकाशवाणी हुई, यह बालक अल्पायु का होगा। 12 साल की आयु में इस बालक की मृत्यु हो जाएगी।
इस भविष्यकथन के साथ उस व्यक्ति को पुत्र प्राप्ति की अधिक ख़ुशी न थी। उसने अपने बालक का नाम अमर रखा। जैसे-जैसे अमर थोड़ा बड़ा हुआ, उस धनी व्यक्ति ने उसको शिक्षा के लिए काशी भेजना उचित समझा। उसने अपने साले को अमर के साथ काशी भेजने का निश्चय किया।
इसके बाद साहूकार का पुत्र ओए उसका मामा काशी पहुंचे, उन्होंने वहां जाकर यज्ञ किया। ये यज्ञ उसी दिन रखा गया था जिस दिन साहूकार के बेटे की उम्र 12 साल हुई। साहूकार के लडके ने मामा से कहा कि मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही तो मामा ने कहा तुम अंदर जाकर आराम कर लो। भगवान शिव के वरदान के अनुसार कुछ ही समय में बाकल के प्राण निकल गये।
मृत भांजे को देखकर उसके मामा ने विलाप शुरू किया और उस समय संयोग कुछ ऐसा था कि भगवान शिव और देवी पार्वती उधर से जा रहे थे। माँ पार्वती ने भगवान् शिव से कहा, स्वामी मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहे, आप इस व्यक्ति के कष्ट का निवारण अवश्य दूर करें। जब भगवान शिव उस बालक के पास गये तो वो बोले ये तो साहूकार का पुत्र है जिसे मैंने 12 साल की आयु का वरदान दिया था और अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है मगर मातृ भाव से विभोर माता पार्वती ने कहा, हे महादेव आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें नहीं तो इसके माता – पिता इसके वियोग में तड़प – तड़प कर मर जायेंगे।
माँ पार्वती के आग्रह करने पर भगवान् शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया। भगवन शिव की कृपा से साहूकार का लड़का जीवित हो गया। अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद साहूकार का बीटा अपने मामा के साथ अपने नगर की ओर चल पड़ा. दोनों चलते – चलते उस नगर इ पहुंचे जहाँ साहूकार के लड़के का विवाह हुआ था। उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया तभी साहूकार के बेटे के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी बहुत खातिरदारी की और अपनी पुत्री को विदा कर दिया। दूसरी ओर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे – प्यासे रहकर अपने बेटे की राह देख रहे थे।
उन्होंने ने भी ये प्रण रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का सामाचार मिला तो वो भी अपने प्राण त्याग देंगे। लेकिन पने बेटे जीवित देखकर बहुत खुश हुए. उसी रात भगवान शिव ने साहूकार को स्पे में दर्शन दिए और कहा हे श्रेष्ठी मैं तेरे सोमवार के व्रत करने से और व्रत कथा सुनने से बहुत प्रसन्न हूँ और मैंने तेरे पुत्र को लंबी आयु का वरदान दिया है.मान्यता है कि तभी से इस व्रत को करने की प्रथा चली आ रही है। ऐसी कहा जाता है कि जो भी मनुष्य सोमवार के व्रत करता है, कथा सुनता है या पढ़ता है भगवान् शिव उसके सभी दुखों का निवारण करते है और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।